Thursday, July 11, 2013

सनातन धर्म के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है


''सनातन धर्म के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि ''
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वर्ष के प्रथम महिना अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है।
चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है।
इसके बाद अश्विन {क्वार} मास में प्रमुख नवरात्रि होती है।
इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात माघ में चार नवरात्रि का महोत्सव मनाने का उल्लेख एवं विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
इनमें आश्विन {क्वार} मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है।
दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इन दोनों नवरात्रियों को शारदीय व वासंती नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
इसके अतिरिक्त आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है। इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं।

गुप्त व चमत्कारीक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है।
यदि इन गुप्त नवरात्रों में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा- साधना करता है तो माँ उसके जीवन को सफल कर देती हैं|

नवरात्रि के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाए गए नियम तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं। जिससे इंसान निरोगी होकर दीर्घ आयु और सुख प्राप्त करता है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है।

देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं।

यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में ध्यान शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है।

’नवरात्रि’ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर महानवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप, उपवास का प्रतीक हैं।

''नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते''

नौ शक्तियों से युक्त नवरात्रि कहलाते हैं।

देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं-

''आश्विने वा ऽथवा माघे चैत्रें वा श्रावणेऽति वा''

अर्थात ~आश्विन {क्वार} मास में शारदीय नवरात्रि तथा चैत्र में वासंतिक नवरात्रि होते हैं। माघ व श्रावण के गुप्त नवरात्रि कहलाते हैं वहीं शारदीय नवरात्रि में देवी शक्ति की पूजा व बासंतिक नवरात्रि में विष्णु पूजा की प्रधानता रहती है।~~~~हर हर महादेव

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