Sunday, March 31, 2013






“हिन्दू धर्म मे चरण स्पर्श का वैज्ञानिक
आधार”
हिन्दूधर्म मे अपने से बड़े के अभिवादन के
लिए चरण स्पर्श उत्तम माना गया है ॥
चरण स्पर्श से आपको सामने
वाला व्यक्ति आयु,बल,यश,ज्ञान
का आशीर्वाद देता है॥ आइये इसके
वैज्ञानिक आधार की विवेचना करते हैं॥
वैज्ञानिक न्यूटन के नियम के अनुसार इस
संसार में सभी वस्तुएँ "गुरूत्वाकर्षण" के
नियम से बंधी हैं और गुरूत्व भार सदैव
आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है,
हमारे श
रीर में भी यही नियम है। सिर
को उत्तरी ध्रुव और
पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना जाता है
अर्थात् गुरूत्व ऊर्जा या चुंबकीय
ऊर्जा या विद्युत चुंबकीय ऊर्जा सदैव
उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव
की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र
(cycle) पूरा करती है। इसका आशय यह
हुआ कि मनुष्य के शरीर में उत्तरी ध्रुव
(सिर) से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर
दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित
होती है और दक्षिणी ध्रुव पर यह
ऊर्जा असीमित मात्रा मे स्थिर
हो जाती है | यहाँ ऊर्जा का केंद्र बन
जाता है, यही कारण है
कि व्यक्ति सैकड़ो मील चलने के पश्चात्
भी मनुष्य भी जड़ नहीं होता वो आगे चलने
की हिम्मत रख सकता है।
ऐसा पैरों में संग्रहित इस ऊर्जा के कारण
ही पाता है। शरीर
क्रिया विज्ञानियों ने यह सिद्ध कर
लिया है कि हाथों और
पैरों की अंगुलियों और अंगूठों के
पोरों (अंतिम सिरा) में यह
ऊर्जा सर्वाधिक रूप से विद्यमान
रहती है तथा यहीं से आपूर्ति और मांग
की प्रक्रिया पूर्ण होती है। पैरों से
हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने
की प्रक्रिया को ही हम "चरण स्पर्श"
करना कहते हैं।
इस प्रकार हिन्दू धर्म मे चरण स्पर्श
की मान्यता पूर्णतया प्रामाणिक और
वैज्ञानिक है।

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-Aksh...


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