राम राम जी ...
आज आपके सामने एक बड़ी ही विचित्र कहानी रख रहा हूँ, कृपया पढिये और बताइए इस विषय में क्या किया जाए l
भारत में और विदेश में अधिकाँश हिन्दू जब सुबह उठते हैं, वे नित्य-क्रिया से निवृत्त होकर, स्नानादि करके, अपनी पूजा आदि का कर्तव्य निभाते हैं l
कोई धूपबत्ती जला कर, दिया जला कर,
कोई सूर्य भगवान् को नमस्कार एवं जल अर्पित करके,
कोई हवन, यज्ञ आदि करके l
कोई भजन-कीर्तन करके l
भजन कीर्तन में भी मुख्यत: देवी-देवताओं की स्तुति, उनका गुणगान, उनकी कीर्ती एवं उनके यश का गुणगान होता है, तथा साथ ही उनके जीवन काल में उन्होंने क्या क्या किया, यह सब हम गाते हैं एक स्तुति के रूप में l
आपको आश्चर्य होगा यह जानकार कि भारत में एक ऐसा भी पन्थ-सम्प्रदाय है, जो रोज सुबह उठ कर एक ऐसा पाठ या जाप करते हैं ... जिसमे हिन्दुओं के देवी-देवताओं, रीति-रिवाजों-परम्पराओं, आराध्यों, शौच-शुद्धि के नियम, आदि की आलोचना करते हैं l
और आश्चर्य की बात देखिये कि यह आलोचना भी, मुक्ति का मार्ग बताई गई है l
यह आलोचना रुपी, मुक्ति का रास्ता रोज पढना है... सुबह सुबह l
और इससे समस्त मनोकामनाएं, आशाएं भी पूर्ण हो जाती हैं l
एक सबसे आश्चर्य-जनक बात जो सामने आई वो देखिये कि उनकी नित्य-प्रात:स्मरणीय जाप-पुस्तक में हिन्दुओं के लिए अत्यंत ही विषाद का विषय देखा मैंने... और जबकि ये मुस्लिम नही, आधे मुस्लिम हैं... और हिन्दुओं में गिने जाते हैं l
उस प्रतिदिन प्रात:-स्मरणीय जाप की ये 2 पंक्रियाँ देखिये...
1. In the Dark Age of Kali Yuga, the Atharva Veda became prominent; Allah became the Name of God.
2. Men began to wear blue robes and garments; Turks and Pat'haans assumed power.
ये किसी ने आज तक या तो पढ़ा नही, और पढ़ा तो नजर-अंदाज कर दिया ...
कृपया अपने शब्दों में बताएं कि ये कैसी भक्ति है ...
और ऐसी भक्ति जो उनके गुरु, पैगम्बर, Prophet आदि करवा रहे हैं...
वो भला अपने अनुयायियों को क्या सिखा कर गये हैं ...
पिछली कितनी पीढ़ियों से... उनके अनुयायी तथा उनके वंशजों ने क्या क्या पाप किये हैं ?
संभवत: पिछली कई पीढ़ियों से उन्होंने कोई मन्त्र-जाप नहीं किया, कोई हवन-यज्ञ आदि नहीं l
बस आलोचना ही आलोचना... आलोचना भी मुक्ति हो सकती है भला ??
इन पीढ़ियों की अज्ञानता ही थी जो इन्हें कई पीढ़ियों से सत्य-मार्ग नहीं दिखाई दिया l
और जिन्होंने छद्म मार्ग दिखाया, उन्होंने इनसे कितने पाप करवा दिए हैं ...
पूर्वजों और वंशजों ने मिल कर कितने पाप किये हैं ?
अंदाजा मात्र लगना भी असम्भव है ?
आपका क्या कहना है ...?
जय श्री राम कृष्ण परशुराम ॐ
भारत में और विदेश में अधिकाँश हिन्दू जब सुबह उठते हैं, वे नित्य-क्रिया से निवृत्त होकर, स्नानादि करके, अपनी पूजा आदि का कर्तव्य निभाते हैं l
कोई धूपबत्ती जला कर, दिया जला कर,
कोई सूर्य भगवान् को नमस्कार एवं जल अर्पित करके,
कोई हवन, यज्ञ आदि करके l
कोई भजन-कीर्तन करके l
भजन कीर्तन में भी मुख्यत: देवी-देवताओं की स्तुति, उनका गुणगान, उनकी कीर्ती एवं उनके यश का गुणगान होता है, तथा साथ ही उनके जीवन काल में उन्होंने क्या क्या किया, यह सब हम गाते हैं एक स्तुति के रूप में l
आपको आश्चर्य होगा यह जानकार कि भारत में एक ऐसा भी पन्थ-सम्प्रदाय है, जो रोज सुबह उठ कर एक ऐसा पाठ या जाप करते हैं ... जिसमे हिन्दुओं के देवी-देवताओं, रीति-रिवाजों-परम्पराओं, आराध्यों, शौच-शुद्धि के नियम, आदि की आलोचना करते हैं l
और आश्चर्य की बात देखिये कि यह आलोचना भी, मुक्ति का मार्ग बताई गई है l
यह आलोचना रुपी, मुक्ति का रास्ता रोज पढना है... सुबह सुबह l
और इससे समस्त मनोकामनाएं, आशाएं भी पूर्ण हो जाती हैं l
एक सबसे आश्चर्य-जनक बात जो सामने आई वो देखिये कि उनकी नित्य-प्रात:स्मरणीय जाप-पुस्तक में हिन्दुओं के लिए अत्यंत ही विषाद का विषय देखा मैंने... और जबकि ये मुस्लिम नही, आधे मुस्लिम हैं... और हिन्दुओं में गिने जाते हैं l
उस प्रतिदिन प्रात:-स्मरणीय जाप की ये 2 पंक्रियाँ देखिये...
1. In the Dark Age of Kali Yuga, the Atharva Veda became prominent; Allah became the Name of God.
2. Men began to wear blue robes and garments; Turks and Pat'haans assumed power.
ये किसी ने आज तक या तो पढ़ा नही, और पढ़ा तो नजर-अंदाज कर दिया ...
कृपया अपने शब्दों में बताएं कि ये कैसी भक्ति है ...
और ऐसी भक्ति जो उनके गुरु, पैगम्बर, Prophet आदि करवा रहे हैं...
वो भला अपने अनुयायियों को क्या सिखा कर गये हैं ...
पिछली कितनी पीढ़ियों से... उनके अनुयायी तथा उनके वंशजों ने क्या क्या पाप किये हैं ?
संभवत: पिछली कई पीढ़ियों से उन्होंने कोई मन्त्र-जाप नहीं किया, कोई हवन-यज्ञ आदि नहीं l
बस आलोचना ही आलोचना... आलोचना भी मुक्ति हो सकती है भला ??
इन पीढ़ियों की अज्ञानता ही थी जो इन्हें कई पीढ़ियों से सत्य-मार्ग नहीं दिखाई दिया l
और जिन्होंने छद्म मार्ग दिखाया, उन्होंने इनसे कितने पाप करवा दिए हैं ...
पूर्वजों और वंशजों ने मिल कर कितने पाप किये हैं ?
अंदाजा मात्र लगना भी असम्भव है ?
आपका क्या कहना है ...?
जय श्री राम कृष्ण परशुराम ॐ
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