Thursday, April 4, 2013


अगर चाहते हैं कि कोई मुसीबत ना आए तो ऐसे रहिए.... 

श्रीमद भागवत कथा भगवान का ही दूसरा स्वरूप है। इसमें खुद भगवान विराजित है। ये कथा हमें जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्त होने की कला सीखाती है।

हमारे शरीर की आंखे और कान अच्छाई ग्रहण करने के महत्वपूर्ण द्वार हैं। हम सावधानी से निर्णय करके इनसे जीवन को सफल बनाने वाली चीजों को प्राप्त करें तो दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं।

मनुष्य की संगत अच्छी हो तो उसका जीवन सुधर जाता है अन्यथा बुरी संगत में रहकर उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है।

मनुष्य केवल विपत्ति में ही भगवान का स्मरण करता है। यदि वह सदैव प्रभु का स्मरण करता रहे तो कभी भी विपत्ति में नहीं फंस सकता है। हम अपनी सारी चिंताएं भगवान को सौंप दो और सिर्फ अपने कर्म करते चलो। आप पर कभी कोई संकट नहीं आएगा।


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